माँ कामाख्या शक्ति पीठम का उद्देश्य :
माँ कामाख्या ज्योतिष पीठम शक्ति साधना का सीधा विहंगम मार्ग है । यहां स्वयं के द्वारा ही साधना के बल पर मनुष्य के शरीर में शक्ति का संचार करके उसकी सुप्ता अवस्था को प्राप्त कुंडलिनी शक्ति को जागृत कर जीवन प्रवाहिका शक्ति को गति प्रदान करने का कार्य करती है ।
यह भाव व कृपा शिष्य पर सद्द्गुरू के अनुग्रह से ही प्राप्त हो सकता । संस्था आम जन को उनके भौतिक जीवन से कुछ समय आध्यात्मिक मार्ग को अपनाने व उसको धारण करने का निवेदन करता है : आचार्य श्री जो कि माँ कामाख्या की तंत्र साधना के सिद्ध साधकों में से एक है । उनके द्वारा स्वयं आसन, प्राणायाम, क्रिया ,मुद्रा ,ज्ञान, ध्यान ,प्रदक्षिणा ,जप – पाठ ,होम आदि का अभ्यास करा कर स्वयं के कुंडलिनी चक्रों को जागृत कराने का कार्य कर रहे है । उनका मानना है कि अनादि काल से ही कामाख्या की तंत्र साधना आम -जन को आकर्षित किये हुए है । सृष्टि प्रारम्भ से लेकर आज वर्तमान कलिकाल में भी शक्तिपात तंत्र शास्त्र का लोप नही हुआ । किंतु यह सास्वत सत्य भी है कि यह गुरु परम्परा से शिष्य – प्रशिष्य परम्परा में क्रिया रूप में चलता चला आ रहा है ।
संस्था प्राचीन भारतीय ज्ञान परम्परा के संबर्धन के लिए तत्पर है । जिसके लिए स्वयं आचार्य श्री द्वारा समय – समय पर कठिन नियमो का अनुपालन किया जा रहा है । संस्था वर्तमान में अपने विभिन्न आयामो व प्रकल्पों के साथ समाज में कार्य कर रही है :

- संस्था का प्रमुख उद्देश्य जन – जन व समाज के प्रत्येक कुटुंब को मातृत्व भाव के साथ आराधन कराना व स्वयं के अंदर मातृत्व शक्ति को पहचानने की अनुभूति का दर्शन कराना ।
- प्राचीन महाविद्याओ की खोज कर उसको समाज के उपयोगी बनाना ।
- प्राचीन विद्या ,महाविद्या व बीज मातृका को साधना के उपक्रम में जागृत कर जनमानस के कल्याणार्थ प्रयोग करना ।
- नारायण सेवा के रूप में गरीब , असहाय लोगों की मदद करना उनके लिए भोजन ,मकान , वस्त्र आदि की व्यवस्था कराना।
- प्राचीन विद्याओ पर शोध कार्य कर उनको प्रकाशित कराना ।
- प्रत्येक वर्ष त्रिवेणी संगम पर आयोजित माघ मेले में व महाकुंभ आदि के अवसर पर संस्था का शिविर लगाना व साधु संतों ,यात्रियों हेतु सेवा के विभिन्न प्रकल्पों की व्यवस्था – भंडारा ,लंगर ,रैन बसेरा आदि की व्यवस्था कराना आदि ।
- दिव्यांग व कुष्ठ पीड़ितों व उनके पाल्यों के लिए चिकित्सा सुविधा प्रदान कराना व पाल्यों के लिए शिक्षा हेतु समुचित व्यवस्था कराना ।
- भारतीय प्राचीन ज्योतिष शास्त्र व चिकित्सा ज्योतिष के ज्ञान से जन – मानस के कल्याणार्थ उचित शास्त्र सम्मत मार्गदर्शन कराना ।
- आचार्य श्री के संकल्पानुसार जन – जन से प्रयेक मानव के गृहस्थ जीवन की शुभता व उसमें आने वाली सांसारिक बाधाओं के समाधान हेतु दश महाविद्या मंडप अर्चन यज्ञ का आयोजना कराना तथा उसके लिए समिति का गठन करना ।
संस्था के प्रमुख आचार्य श्री द्वारा अपने गुरु परम्परा से दीक्षित हो समाज की शुभता व कल्याण की भावना से अहर्निश धार्मिक अनुष्ठान ,व्रत ,नियम का कठिन साधन किया जा रहा है । आचार्य श्री स्वयं अपनी आराध्या माँ कामाख्या से संसार के शुभता की कामना करते है ।
कामरूप व शिव पार्वती का संयोग :
इस कामरूप महापीठ में भगवती पार्वती के साथ सदाशिव सर्वदा विराजमान रहते है ।यह भाव व संयोग इस पृथ्वी पर अन्यतम कही नही है । इस दिव्य व अलौकिक पीठ के बारे में कालिकादि पुराणों में गुह्य पीठ की संज्ञा प्रदान की गई है । तथा यह पुरुषार्थ चतुष्टय को देने वाला बताया गया है । यहां तक कि एकांत वास कर कामरूप के इस गुह्य पीठ पर तपस्या करने से अति शीघ्र मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है । यह पीठ तांत्रिक क्रियाओ के लिए उत्तमोत्तम स्थान माना जाता है । इस संसार के तीन प्रमुख श्मशान पीठों में तारा पीठ,उज्जैन पीठ से श्रेष्ठ कामरूप के श्मशान पीठ का विशेष महत्व बताया गया । इसी कारण से यहाँ दक्षिणाचार पूजन पद्धति के साथ – साथ वामाचार विधान से भगवती के पूजन का विधान होता देखा जाता है ।
कामरूपं महापीठं सर्वकाम फलप्रदम !
कलौ शीघ्रफलौ देवि कामरूपे जपः स्मृता: !!
सिद्धियों को प्रदान करती है माँ कामाख्या