भुवनेश्वरी महाविद्या – दश महाविद्या शक्तियों में भगवती भुवनेश्वरी को “” चतुर्थ विद्या के रूप में जाना जाता है । इनकी उपासना से इस संसार के समस्त जीवों को सम्मोहित किया जा सकता है । यह वाणी की अधिष्ठात्री देवी है । तथा इसी का अमरनाम ” राजराजेश्वरी है । यही सिद्ध दात्री व सिद्ध विद्या के नाम से संसार में प्रकाशित हो रही है । इसके शिव – त्रयम्बक है ।
तारा तंत्र शास्त्र में इस आद्या शक्ति को सृष्टि धारा की चतुर्थ सृष्टि विद्या कहा गया है ।क्योकि यदि सूर्य में सोमाहुति न होती तो यज्ञ असम्भव था और यज्ञ के बिना भुवन – रचना भी सम्भव नही थी । और बिना भुवन के भुवनेश्वरी भी उन्मुग्ध थी ।यह महाविद्या शक्ति तीनों लोकों पर दृष्टि रखती है। संसार मे जितनी भी प्रजा है,सबको उसी भुवनेश्वरी शक्ति से अन्न प्राप्त हो रहा है । चौरासी लाख योनिया उसी से अन्न लेकर जीवित है । यही उस महाविद्या शक्ति का “” वरदा “” स्वरूप है । 💐💐💐
भगवती भुवनेश्वरी की उपासना मुख्यतः वशीकरण ,सम्मोहन, वाकसिद्धि ,सौभाग्य लाभ, गृहस्थी की शुभता के साथ – साथ शत्रुओं पर विजय पाने की कामना से किया जाता है । इस महाविद्या का कारक ग्रह चंद्रमा है । जिस किसी जातक का चंद्रमा प्रभावित हो रहा हो वह निश्चित ही भगवती भुवनेश्वरी के अर्चन प्रयोगों से भगवती को प्रसन्न कर साथ ही अपने प्रतिकूल चंद्रमा को अनुकूल कर स्वयं के कामना की पूर्णता कर सकता है ।